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हर मंगल बंदरों को केला दावत

मोहाली, 3 दिसंबर (निस)। पथरीली पहाडिय़ों पर उछलकूद करते सैंकड़ों बंदर। न कहीं बाग, न फलों की खेती। फिर भी सबके सब उड़ा रहे हैं केलों की दावत। बंदरों की यह दावत उड़ रही है बानर भक्तों की बदौलत। जो हर मंगलवार और वीरवार को हजारों की तादाद में केले खरीद कर आसपास के इलाकों […]
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मोहाली, 3 दिसंबर (निस)।
पथरीली पहाडिय़ों पर उछलकूद करते सैंकड़ों बंदर। न कहीं बाग, न फलों की खेती। फिर भी सबके सब उड़ा रहे हैं केलों की दावत। बंदरों की यह दावत उड़ रही है बानर भक्तों की बदौलत। जो हर मंगलवार और वीरवार को हजारों की तादाद में केले खरीद कर आसपास के इलाकों में बंदरों को अर्पित करने में ही सबसे बड़ा पुण्यलाभ देखते हैं। आज केले की औसत बिक्री लगभग 12 हजार रही जिसमें से एक तिहाई तो वानर प्रेमी ही ले गए। सेहत प्रेमी औसतन 8000 केले ही खरीदते हैं।
सुरेंद्र मुलाना हरियाणा में जींद के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि पिछले 20 सालों से हिसार में तलवन्डी राणा नहर के पास सैकड़ों बंदरों को केले खिलाता था लेकिन मोहाली में आने के बाद पंचकूला केले खिलाने जाने लगा। कई बार वन विभाग के लोग बंदरों को केले खिलाने से रोकते हैं। सो मंैने सेक्टर 45 की गौशाला में जाना शुरू किया है। हिसार के एक भगत सुरेश पायल पिछले कई सालों से वानरों को केले खिलाने मोरनी के आसपास जंगलों में जाते हैं।
कई वानर भगत तो 500 से 1000 केले प्रतिदिन खरीद कर बंदरों को अर्पित कर रहे हैं। सेक्टर 70 के हनीश अग्रवाल, सेक्टर 19 के निवासी स्टेट बैंक पटियाला के मैनेजर शामलाल नागर अक्सर बड़ी संख्या में केले खरीद कर बंदरों को खिलाने ले जाते हैं। मोहाली के इंडस्ट्रियल एरिया फेस 7 में स्थित कोल्ड स्टोर के सुरेंद्र सिंधु का कहना है कि हर मंगलवार को 10 से 12 हजार केले वानर भगतगण ही एडवांस में बुक करा लेते हैं।

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